बिहार का आरजेडी नेता जिसने आईएएस की पत्नी, मां, भतीजी से 2 साल तक लगातार किया बलात्कार, कई बार करवाना पड़ा अबॉर्शन,


 


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भारतीय जनता पार्टी शासित उत्तर प्रदेश के हाथरस की घटना को जिस तरह योगी विरोधी उछाल रहे हैं, ये ही लोग राष्ट्रीय जनता दल द्वारा बिहार में जंगल राज  पर चुप्पी साधे हुए थे। आरजेडी के राज में आम नागरिक तो दूर की बात है, ब्यूरोक्रेट्स के परिवार की महिलाएं तक सुरक्षित नहीं थीं। आरजेडी के राज में इस तरह के अपराध होना स्वाभाविक था, क्योकि जिस प्रदेश में मुख्यमंत्री अनपढ़ हो, और परिवार नियोजन को तार-तार कर बच्चों की लाइन लगाने में व्यस्त हो, कानून की धज्जियां उड़नी ही हैं। जिसे कवि अखिलेश द्विवेदी अपनी कविता पाठ में वर्णित कर रहें हैं



नेताओं के बाद अगर सरकार में किसी की सबसे ज्यादा चलती है तो वो हैं ब्यूरोक्रेट्स। कई बार तो उनकी भूमिका नेताओं से भी बढ़ कर होती है क्योंकि योजनाओं के क्रियान्वयन का जिम्मा उनके पास ही होता है। लेकिन, बिहार में जंगलराज का जो दौर था, उसमें IAS अधिकारी तक सुरक्षित नहीं थे। ऐसे ही एक अधिकारी की पत्नी थीं चम्पा विश्वास। चम्पा विश्वास के साथ रेप एक ऐसी घटना थी, जिसने पूरे बिहार ही नहीं, बल्कि देश को हिला कर रख दिया था।


बिहार में नेताओं पर यौन शोषण के आरोप नए नहीं हैं। हाल ही में सामने आए मुजफ्फरपुर बालिका गृह काण्ड के दौरान भी बड़े नेताओं का नाम सामने आया। राजद ने दो बलात्कारी विधायकों की पत्नियों को टिकट दे रखा है। अभी जब ये सब खुलेआम हो रहा है तो उस दौर की आप सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं, जब लालू यादव के क़रीबी पूरे बिहार में कुछ भी कर सकते थे, कुछ भी। इन्हीं काली घटनाओं में से एक की हम आज चर्चा करने जा रहे हैं।


चम्पा विश्वास के साथ रेप की घटना: बिहार के दामन पर लगा काला दाग


बिहार में जंगलराज के दौर में हत्याएँ और अपहरण इतने आम थे कि ऐसी घटनाओं को लोगों ने खबर मानना भी छोड़ दिया था। सत्ताधारी पार्टी के नेता ही गुंडे थे और उनके द्वारा यौन शोषण और हत्या की वारदातों के बाद भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती थी। लेकिन, IAS अधिकारी बीबी विश्वास ने जब लालू यादव के करीबी मृत्युंजय यादव पर 2 साल में न सिर्फ उनकी पत्नी का बल्कि उनके कई सम्बन्धियों का भी रेप करने का आरोप लगाया, तो कोहराम मच गया।



अगर इस मामले की पुलिस में शिकायत होती तो या तो फाइलें धूल फाँकती, या फिर उलटा पीड़ितों के खिलाफ ही कार्रवाई हो जाती। लेकिन, मामला लाइमलाइट में तब आया जब पीड़िता ने बिहार के तत्कालीन राज्यपाल सुन्दर सिंह भंडारी को पत्र लिख कर न्याय की गुहार लगाई। 2 साल तक किसी का जबरदस्ती यौन शोषण, यहाँ तक कि उसके नाते-रिश्तेदारी में कई अन्य महिलाओं का रेप – ये एक साधारण घटना नहीं थी।


1982 बैच के IAS अधिकारी बीबी विश्वास तब बिहार के लेबर विभाग में सोशल सिक्योरिटी के डायरेक्टर थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि मृत्युंजय (तब 27 साल के) ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर न सिर्फ उनकी पत्नी का, बल्कि उनकी माँ, दो मेड्स और भतीजी तक के साथ रेप किया। उसने इसके लिए धमकी, लालच, जोर-जबरदस्ती और हिंसा – सभी का सहारा लिया। तब चम्पा विश्वास 30 साल की थीं।




चम्पा विश्वास को 1 बार एबॉर्शन भी कराना पड़ा। अंत में उन्होंने अपना ‘Sterlization’ ही करवा लिया था। कई बार बलात्कार किए जाने के कारण बार-बार गर्भवती होने से बचने के लिए उन्हें ये क़दम उठाने पड़े थे। तब उन्होंने ये भी अंदेशा जताया था कि उनकी भतीजी कल्याणी और दो मेड सर्वेन्ट्स, जो गायब हो गई थीं, उनकी हत्या भी की गई हो सकती है। राज्यपाल ने मामले का संज्ञान लेते हुए गृह मंत्रालय को इस मामले को देखने की सिफारिश की थी।


साथ ही उन्होंने बिहार के तत्कालीन डीजीपी नियाज अहमद को भी इसकी जाँच करने के आदेश दिए। राजद के विधायक रहे मृत्युंजय यादव ने तब लालू यादव पर किताब भी लिखी थी। अगस्त 8, 1998 को भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के कहा था कि यहाँ तक कि प्रभावशाली और सम्मानित परिवारों की महिलाएँ भी अब सुरक्षित नहीं हैं और असहाय हैं क्योंकि राजद के गुंडों को लगता है कि वो कुछ भी कर के बच कर निकल जाएँगे।


बीबी विस्वास इतने बड़े अधिकारी होने के बावजूद अपने परिवार को इससे नहीं बचा पाए, ये राजद के गुंडों के प्रभाव के बारे में बताता है। बाद में वो अपने पूरे परिवार के साथ दिल्ली शिफ्ट हो गए थे। चम्पा ने अपने पति के जीवन को खतरा बताते हुए कहा था कि उन्हें काफी बाद में इस मामले के बारे में पता चला। मृत्युंजय की माँ हेमलता यादव भी विधायक रह चुकी थीं और वो ‘बिहार सोशल वेलफेयर एडवाइजरी बोर्ड’ की अध्यक्ष थीं।


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तब उन्होंने इन आरोपों को गलत बताते हुए कहा था कि ये उनके और उनकी माँ के खिलाफ साजिश है। साथ ही उन्होंने बीबी विश्वास पर अपनी ड्यूटी ठीक से न निभाने और दफ्तर से गायब रहने तक के आरोप भी लगाए। मोहम्मद नमतुल्लाह तब विधानसभा में राजद के चीफ व्हिप थे। उन्होंने कहा था कि वो हेमलता के परिवार को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं और वो ‘लड़का’ ऐसा नहीं कर सकता।


ये उसी का एक वर्जन था, जब अपने बेटे अखिलेश यादव की सरकार रहते मुलायम सिंह यादव ने बलात्कारियों को लेकर ‘लड़के हैं, गलती हो जाती है‘ वाला बयान दिया था। ये सब तब हो रहा था, जब मृत्युंजय का इतिहास भी ठीक नहीं था। इस घटना से 3 साल पहले भी एक राजनेता की बेटी का यौन शोषण करने के आरोप में उसे गिरफ्तार किया गया था। हेमलता उस वक़्त 8 सालों से लालू यादव की करीबी थीं।


क्या-क्या लगे थे आरोप?


बीबी विश्वास का परिवार पटना के बेली रोड में स्थित सरकारी क्वार्टर में रहता था। चम्पा ने अपनी शिकायत में कहा था कि उनके बगल के क्वार्टर में रहने वाले अधिकारी और उनकी पत्नी उन्हें बुला कर अपने फ्लैट में लेकर गए, जहाँ मृत्युंजय और हेमलता पहले से ही बैठे हुए थे। वहाँ उन लोगों ने चम्पा को मृत्युंजय के साथ अकेले कमरे में बंद कर दिया, जहाँ उसने उनका रेप किया। आरोप है कि इसके बाद हेमलता ने उन्हें धमकाया कि इस घटना के बारे में किसी को भी पता चला तो उनके परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी जाएगी और उनके आपत्तिजनक फोटोग्राफ्स सार्वजनिक कर दिए जाएँगे।


एक दिन अचानक से मृत्युंजय फिर अपनी माँ और कुछ लोगों के साथ कैमरा लेकर आ धमका, जहाँ उसने चम्पा के साथ शादी की जिद की। उसकी माँ ने कहा कि मृत्युंजय स्मार्ट है और बड़े परिवार से है, इसीलिए चम्पा को उससे शादी कर लेनी चाहिए। उन लोगों ने चम्पा के पति को बूढ़ा बताते हुए कहा कि हेमलता को मंत्री पद मिलने के बाद उन्हें भी कहीं का अध्यक्ष बना दिया जाएगा। वहाँ उनके साथ फिर बलात्कार किया गया।


शिकायत में बताया गया था कि दिसंबर 1995 में एक बार फिर मृत्युंजय पहुँचा, जहाँ उसने चम्पा विश्वास की माँ को किचेन में देखा। इसके बाद उसने उनका जबरन आलिंगन किया और किस किया। घबराई माँ ने चम्पा से परिवार सहित वो फ़्लैट खाली करने को कहा। इसी तरह उसने चम्पा विश्वास की भतीजी कल्याणी के साथ भी रेप किया। साथ ही वो घर की मेड से कह कर बीबी विश्वास को ड्रग्स दे दिया करता था, ताकि वो बेहोश हो जाएँ।


‘नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन’ को भेजे गए पत्र में चम्पा ने आरोप लगाया था कि बिहार के एक बहुत बड़े नेता (जंगलराज के मसीहा) ने भी उनके साथ बलात्कार किया। उनका आरोप था कि पुलिस ने भी उनके बयान को हूबहू कोर्ट में पेश नहीं किया और उसमें बदलाव कर दिया। दिल्ली में शिफ्ट होने के बाद परिवार के भीतर ऐसा डर बैठा हुआ था कि उन्होंने 20 बार अपना घर बदला। मृत्युंजय के दोस्तों ने भी चम्पा के साथ बलात्कार किया था।


हालाँकि, 2010 में बिहार के पटना हाईकोर्ट ने हेमलता यादव और मृत्युंजय को चम्पा विश्वास रेप कांड से जुड़े मामले में बरी करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया। आरोपित का कहना था कि राजद और भाजपा की लड़ाई में उसे बकरा बनाया गया। उसका कहना था कि सुशील मोदी ने इसे मुद्दा बना दिया, जिससे उसकी ज़िंदगी बर्बाद हो गई, वरना वो दिल्ली के हिन्दू कॉलेज में पढ़ता था और सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहा था। उसने कहा था कि उसके अधिकतर दोस्त अब सिविल सर्विसेज में हैं।


लेकिन, मृत्युंजय यादव ने सितम्बर 2005 में एक ऐसा बयान दिया था, जिसकी चर्चा आवश्यक है। उसने कहा था कि राजद के बड़े नेताओं को बचाने के लिए उसे फँसाया गया। उसने ये भी आरोप लगाया था कि जिस जज ने उसे और उसकी माँ को सजा सुनाई, उसे प्रमोट किया गया। अपनी जान को ख़तरा बताते हुए उसने पूरी जाँच प्रक्रिया को ही भ्रष्ट बता दिया था। उसने आरोप लगाया था कि राजनैतिक लाभ के लिए उसका इस्तेमाल हुआ।


साभार आरबीएल निगम